राज्य में वर्ष 1964 तक खाद्य एवं सहायता विभाग एक 
संयुक्त विभाग के रूप में कार्यरत रहे। वर्ष 1964 से सहायता विभाग से अलग 
होकर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग पृथक से अस्तित्व में आया। वर्ष 1987 
से विभाग द्वारा उपभोक्ता संरक्षण से सम्बंधित कार्य भी संपादित किए जा रहे
 हैं। दिनांक 21 जून 2001 को विभाग का नाम ‘खाद्य, नागरिक आपूर्ति और 
उपभोक्ता मामले’ विभाग किया गया।
        
  
            
           
      
           इस विभाग की स्थापना सार्वजनिक वितरण प्रणाली का प्रबंध करने और
 उचित मूल्यों पर खाद्यान्नों का वितरण करने के लिए तैयार की गयी थी। पिछले
 कुछ वर्षों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली देश में खाद्य अर्थव्यवस्था के 
प्रबंधन के लिए सरकार की नीति का महत्वपूर्ण अंग बन गई है। 
           
           
           इसके अंतर्गत केन्द्र सरकार ने भारतीय खाद्यनिगम के माध्यम से 
खाद्यान्नों की खरीद, भंडारण, ढुलाई और बल्क आवंटन करने की जिम्मेदारी ले 
रखी है।
           राज्य के अंदर आवंटन, गरीबी रेखा से नीचे के परिवार की पहचान 
करने, राशन कार्ड जारी करने और उचित मूल्य दुकानों के कार्यकरण का 
पर्यवेक्षण करने सहित प्रचलनात्मक जिम्मेदारी खाद्य विभाग की है।
          
          	
				 
                लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली